वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१५ जून २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
जो कोई निन्दै साधु को, संकट आवै सोय।
नरक जाय जन्मे मरै, मुक्ति कबहू न होय।।
प्रसंग:
कबीर किस साधु की ओर इशारा कर रहे है?
कबीर साधु की निंदा करने क्यों नहीं कह रहे है?
माया की स्तुति में रत मन सत्य की निंदा करेगा ही